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Sringeri - Karnataka

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 Sringeri - Karnataka  श्रृंगेरी शारदा पीठ कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले में तुंगा नदी के तट पर स्थित है । यह शारदा पीठ आदी गुरु  शंकराचार्य द्वारा ईसवी सन् 725 मे भारतवर्ष मे स्थापित हिन्दू धर्म के चार पीठों मे से एक दक्षिण पीठ है । यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी के ऊपर स्थित है जहां लगभग 170 सीढ़िया पार कर पहुंचा जा सकता है । यह मंदिर तुंगा नदी के पार नरसिंह वन मे स्थित है । यह शहर श्री शारदम्बा , श्री विद्याशंकर, श्री मलहनीकरेश्वर और अन्य देवताओं के मंदिरों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। श्रृंगेरी नाम ऋष्यश्रृंग-गिरि से लिया गया है, जो पास की एक पहाड़ी है जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें ऋषि विभांडक और उनके पुत्र ऋष्यश्रृंग का आश्रम था। रामायण के बाल-कांड के एक प्रसंग में , वशिष्ठ बताते हैं कि कैसे ऋष्यश्रृंग ने रोमपद के सूखे से त्रस्त राज्य में बारिश लाई। श्री आदि शंकराचार्य ने अपने शिष्यों को रहने और शिक्षा देने के लिए इस स्थान को चुना था, क्योंकि जब वे तुंगा नदी के किनारे टहल रहे थे, तो उन्होंने एक फन उठाए हुए नाग को देखा, जो प्रसव पीड़ा से गुज़र रहे एक मेंढ

Hawa Mahal Jaipur Rajasthan

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 Hawa Mahal - Jaipur Rajasthan  भारत के राजस्थान के पिंक सिटी जयपुर मे स्थित हवा महल प्राचीन भारतीय नक्काशी का एक अप्रतिम उदाहरण है । हवा महल को शहर के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों मे से एक माना जाता है । हवा महल का निर्माण 1799 मे जयपुर के कछवाहा शासक महाराज सवाई प्रताप सिंह ने रॉयल सिटी पैलेस के विस्तार के रूप मे करवाया था । हवा महल का डिजाइन कृष्ण के मुकुट के आधार पर लाल चंद उस्ताद ने तैयार किया था । राजस्थान का यह प्रसिद्ध महल राजस्थान की राजधानी के केंद्र में स्थित है। जयपुर के "गुलाबी शहर" की दृश्य भाषा को ध्यान में रखते हुए, हवा महल पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थर से बना है , जो सूरज की रोशनी में गुलाबी रंग के साथ चमकता है। इसे बिना नींव के निर्मित दुनिया की सबसे ऊंची इमारत के रूप में पहचाना जाता है। हवा महल को एक पर्दे के रूप में बनाया गया था। इस वास्तुशिल्प पर्दे के माध्यम से शाही घराने की महिलाएँ जो घूंघट प्रथा का सम्मान करते हुए त्यौहार और अन्य उत्सवों को इन नक्काशीदार खिड़कियों से स्वतंत्र रूप से देख सकती थीं । इसका अग्रभाग, जो 50 फीट (15 मीटर) ऊंचा है, जिनमे 953 खिड़कियां ह

Ranakpur Jain Temple - Rajasthan Jodhpur

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 रणकपुर जैन मंदिर  - राजस्थान जोधपुर  राजस्थान के पाली जिले के अंतर्गत सादड़ी शहर के निकट ही रणकपुर गाँव है जो भारत की अप्रतीम वास्तुकला को समेटे हुए है । रणकपुर गांव दो बड़े पर्यटक स्थल - जोधपुर और उदयपुर के बीच स्थित है । रणकपुर जैन मंदिर या चतुर्मुख धारणा विहार एक प्राचीन श्वेतांबर जैन मंदिर है । यह मंदिर जैन संस्कृति के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण मंदिरों मे से एक है । इस मंदिर का निर्माण 15वि शताब्दी मे हुआ था । पाली जिले के अरावली पर्वत की घाटियों मे स्तिथ यह ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर है जो चारों ओर जंगल से घिरा हुआ है। 1446 विक्रम सम्वतः मे इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ जो 50 से अधिक वर्षों तक चला । मंदिर में 4 प्रवेश द्वार है  , 1444 खंबे , 29 हाल , 80 गुम्बद और 426 स्तंभ है । मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थकर आदिनाथ की संगमरमर की चार विशाल मूर्तियां है   जो चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख है । इसी कारण से इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है । मंदिर मे 76 छोटे गुंबदनुमा पवित्र स्थान , 4 बड़े प्रार्थना कक्ष तथा 4 बड़े पूजन स्थल है । ये मनुष्य को जीवन मृत्यु की 84 lakh योनियों से मुक