Jogimara Caves Madhya Pradesh


 Jogimara Caves Madhya Pradesh/ Chattisgarh


जोगीमारा कि गुफाएँ छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक हैं। ये गुफ़ाएँ अम्बिकापुर (सरगुजा ज़िला) से 50 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ पहाड़ी पर स्थित है । जोगीमारा गुफा के साथ एक अन्य गुफा सीताबोंगरा जो कि विश्व कि प्राचीनतम नाट्यशाला मानी जाती है स्थित है । इसका स्थानीय नाम डंडोर है । गुफा की छतों पर चित्र है , आकृतियां बौनी तथा अनुपातहीन बनाई गई है । पृष्टभूमि पर लाल रंग से चित्र बनाएं गए हैं। चित्रों में हिरौंजी, लाल खड़िया , हरा और सफेद रंग भरा गया है। यहां से ब्राह्मी लिपि में अभिलेख प्राप्त है । चित्र लय तथा गति से युक्त है । अन्य गुफाएं लक्ष्मण बोंगरा , वशिष्ठ गुफा , कबीर चौरा , पौड़ी देवरी, सिंह द्वार , रावण द्वार भी प्रसिद्ध है । जोगीमारा गुफ़ाओं की भित्तियों पर सबसे प्राचीन भित्तिचित्र अंकित हैं। ये शैलकृत गुफ़ाएँ हैं, अजंता से पूर्व इन गुफाओं का चित्रण हुआ था। यह गुफाएं वरुण देवता तथा जैन धर्म से संबंधित है । जिनमें 300 ई.पू. के कुछ रंगीन भित्तिचित्र विद्यमान हैं।

चित्रों का निर्माण काल डॉ. ब्लाख ने यहाँ से प्राप्त एक अभिलेख के आधार पर निश्चित किया है। सम्राट अशोक के समय में जोगीमारा गुफ़ाओं का निर्माण हुआ था। ऐसा माना जाता है कि जोगीमारा के भित्तिचित्र भारत के प्राचीनतम भित्तिचित्रों में से हैं। Dr Rai Krishna Das इन चित्रों को जैन धर्म का मानते है । जोगीमारा की गुफा वरुण देवता का मंदिर था यह सुतनुका देवदासी का निवास स्थान है , सुतनुका देवदीन से प्रेम करती थी इनकी प्रेम कथा गुफा की भित्ति पर अंकित है ।  इन गुफ़ाओं का सर्वप्रथम अध्ययन असित कुमार हलधर एवं समरेन्द्रनाथ गुप्ता ने 1914 में किया था । इन्होंने सात चित्रों के खंडित अवशेषों का वर्णन किया था । जिनमे वृक्ष के नीचे बैठा पुरुष , संगीतज्ञ, हाथी का जुलूस , लाल रंग के कुमुदिनी के फूल पर लाल रंग में युगल नृत्य करते , व्यक्ति के सिर पर चोंच , कई बौने व्यक्ति , प्राचीन रथ , मछली , मगर व अन्य जीव - जंतुओं का चित्रण । जोगीमारा गुफा की चित्रण शैली समकालीन भरहुत और सांची की मूर्तिकला से साम्यता रखती हैं ।

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