Udaygiri Caves - Madhya Pradesh

उदयगिरी की गुफाएं - मध्य प्रदेश


एकमुखी शिवलिंग गुफा संख्या (4)

उदयगिरी मध्य प्रदेश में विदिशा के निकट स्थित एक गुप्त कालीन गुफा है। यह गुफा अपने अंदर पौराणिक आख्यान तथा शिल्प कलाओं की खूबसूरती को समेटे हुए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहा कुल 20 गुफाओं का समूह है। यह गुफाएं बेतवा  की सहायक नदी बेस नदी के तट पर स्थित है। गुफाएं पांचवी शताब्दी के आरंभिक काल कि है । चट्टानों को काटकर बनाई गई इन गुफाओं के भीतर भारत के प्राचीनतम मंदिर और उत्कृष्ट कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां मौजूद है। इन गुफाओं से प्राप्त शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि इनका निर्माण गुप्त राजाओं द्वारा कराया गया है। इन गुफाओं का संबंध हिंदू तथा जैन धर्म से है । विदिशा से वैसनगर होते हुए उदयगिरि पहुंचने का मार्ग है। गुफाओं की कटाई करके छोटे छोटे कमरों के रूप मे गुफाओं का निर्माण किया गया है । गुफा संख्या 1 और 20 को जैन धर्म का माना गया है । इन गुफाओं से प्रस्तर मूर्तियों के प्रमाण मिले हैं। उदयगिरी को पहले निचैगिरी के नाम से भी जाना जाता था ।  कालिदास ने भी इसे इसी नाम से संबोधित किया है। 
वराह प्रतिमा गुफा संख्या (5)

गणेश मूर्ति

गुफ़ा संख्या पांच में भगवान विष्णु के वराह अवतार का चित्रण तथा इसके निकट ही समुद्र देव का चित्रण किया गया है । भगवान शिव तथा जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ को भी इन गुफाओं में उत्कीर्ण किया गया है। ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस अलेक्जेंडर कनिंघम ने इन गुफाओं की खोज 1857 मे की थी । गुफाएं चंद्रगुप्त द्वितीय ( 375-415 ) तथा कुमारगुप्त प्रथम ( 415 - 55 ) के काल से संबंधित गुप्त कालीन है । गुफाओं से प्राप्त सभी शिलालेख ब्राह्मी लिपि के है । यह गुफाएं भारत की सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है । गुफा संख्या 4 को वीणा गुफा के नाम से भी जाना जाता है । यह गुफा भगवान शिव को समर्पित है । इसमें एकमुखी शिवलिंग है जिसपर चेहरा उकेरा गया है। गुफा संख्या 5 को वराह गुफा कहते है । गुफा संख्या  6 में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है । गुफा के द्वार के बाहर दो द्वारपाल , विष्णू , गणेश और महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियां स्थापित है । गुफा संख्या 7 में गणेश और कार्तिकेय की खंडित आकृतियां प्राप्त है । गुफा संख्या 8 - 14 में विष्णु अवतार से सबंधित कथाएं उत्कीर्ण की गई है। गुफा संख्या - 19 का नाम अमृत गुफा है इसमें आठ फीट ऊंचे स्तंभ है , गुफा की छत पर एक कमल की आकृति तथा बाहर दो द्वारपाल की आकृति बनाई गई है ऊपर की ओर समुद्र मंथन की आकृति है । गुफा संख्या 20 में प्रवेश द्वार पर एक सर्प हुड के नीचे बैठे जैन तीर्थंकर की छवि उकेरी गई है । गुफा में प्रवेश द्वार तथा गर्भगृह भी है और यह गुफा दक्षिण दिशा में स्तिथ है ।

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