Konark Sun Temple - Oddisa

 Konark Sun Temple - Oddisa





भारत के उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी जिले से 26 km दूर समुद्र तट पर उत्तर पूर्व में कोणार्क में स्थित 13वी सदी  (1250) का एक सूर्य मंदिर है । जो कोणार्क सूर्य मंदिर ( Konark Sun Temple ) के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण पूर्वी गंगवंश के राजा प्रथम नरसिंह देव के द्वारा करवाया गया । यह मंदिर बारह वर्षों मे बनकर तैयार हुआ । इस मंदिर की रचना रथ के रूप में कि गई है जिसमे 24 पहिए ( 12 जोड़े ) है जो बारह राशियों को प्रदर्शित करते हैं । इस मंदिर को ( UNESCO ) ने 1984 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है । भारतीय 10 रुपए के नोट के पीछे भी कोणार्क सूर्य मंदिर का चित्र अंकित है। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित था , स्थानीय लोग इसे " बिरंची नारायण " कहते थे। इसी कारण इस क्षेत्र को ( अर्क = सुर्य ) का क्षेत्र या पद्म क्षेत्र कहा गया है । इस मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ है तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है जिसके कारण इसे भारत में ( Black Pagoda ) के नाम से भी जाना जाता है । यह मंदिर कलिंग शैली में निर्मित है । इस मंदिर में सूर्य देव को रथ के रूप में विराजमान किया गया है । सम्पूर्ण मंदिर स्थल को 12 जोड़ी चक्रों के साथ ( 7 ) सात घोड़ों से खींचते हुए निर्मित किया गया है जिसमे सूर्य देव को स्थपित किया गया है । मंदिर के बारह चक्र साल के बारह महीनों को परिभाषित करते है और प्रत्येक चक्र ( 8 ) आठ अरो से मिलकर बना है जो दिन के आठ पहरों को दर्शाते है । मुख्य मंदिर तीन मंडपों में बना है । इनमे से दो मंडप ढह चुके है । मंदिर में भगवान सूर्य की तीन प्रतिमाएं है -  

1- बाल्यावस्था उदित सूर्य 

2- युवावस्था मध्यान्ह सूर्य 

3- प्रौढ़ावस्था अपराह्न सूर्य 



मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो सिंह हाथियों पर आक्रामक होते रक्षा मे तत्पर दिखाए गए है । दोनो हाथी एक एक मानव के ऊपर स्थापित है । मन्दिर के दक्षिणी भाग मे दो घोड़े बने हैं । उड़ीसा सरकार ने इसे अपने राजचिन्ह के रूप में स्वीकार किया है । इसके प्रवेश द्वार पर ही नट मन्दिर है जहां नर्तकियां सूर्य देव को अर्पण करते नृत्य करते दर्शाई गई है । पूरे मन्दिर मे फूल - पत्ती , बेल , ज्यामितीय आकृतियां , मानव , देव , गंधर्व , किन्नर आदि कलाकृतियों से उत्कृष्ट नक्काशी की गई है । इस मंदिर की शिल्प कलाकृतियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सूर्य मंदिर संग्रहालय में रखी गई है । यह मंदिर भारत के उत्कृष्ट स्मारकों मे से एक है । यह मंदिर अपनी कामुक मुद्राओं वाली शिल्पकृतियों के लिए भी प्रसिद्ध है । यह आकृतियां द्वारमंडप के दृतीय स्तर पर मिलती है । इस मंदिर के ( 4 ) चार मुख्य भाग है । 


1 - विमान ( प्रधान मंदिर )

2 - जगमोहन ( दर्शकों का स्थान ) 

3 - नृत्य मंडप ( आरती )

4 - भोग मंडप 

जगमोहन में मंजीरा वादिका की मूर्तियां हैं । यह मंदिर आंशिक रूप से खंडहर मे परिवर्तित हो गया है , फिर भी यह भारत के पर्यटक स्थलों मे से एक है । इस मंदिर के निर्माण में कलाकार विशु महाराणा कारीगर का महत्त्वपूर्ण स्थान है ।

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