Lotus Temple Delhi/ कमल मंदिर दिल्ली


 कमल मंदिर नई दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के बहापुर गाँव में स्थित है। इस मंदिर का उद्घाटन 24 दिसंबर , 1986 को हुआ । आम जनता के लिए यह मंदिर 1 जनवरी 1987 को खोला गया। कमल मंदिर, दिल्ली के नेहरू पैलेस (कालकाजी मंदिर) के पास स्थित एक बहाई ( ईरानी धर्मसंस्थापक बहाउल्लाह के अनुयायी ) उपासना स्थल है। यह अपने आप में एक अनूठा मंदिर है। यहाँ न कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड किया जाता है , यहाँ पर विभिन्न धर्मों से संबंधित पवित्र लेख पढ़े जाते हैं। भारत के लोगों के लिए कमल का फूल पवित्रता तथा शांति का प्रतीक होने के साथ ईश्वर के अवतार का संकेत चिह्न भी है। यह फूल कीचड़ में खिलने के बाद भी पवित्रता का मर्म समझाता है, तथा स्वच्छ रहना भी सिखाता है ।इसकी कमल सदृश आकृति के कारण इसे कमल मंदिर या ( Lotus temple ) टेंपल के नाम से ही पुकारा जाता है। इसका मुख्य नाम बहाई मंदिर है । बहाई उपासना मंदिर उन मंदिरों में से एक है जो गौरव, शांति एवं उत्कृष्ठ वातावरण को ज्योतिर्मय करता है, जो किसी भी श्रद्धालु को आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए अति आवश्यक है। इसके वास्तुकार एक ईरानी, फारिबोरज़ साहबा थे जो अब कनाडा में रहते हैं। यह इमारत 27 मुक्त-खड़े संगमरमर से बनी “पंखुड़ियों” से बनी है, जिसमें नौ भागों को बनाने के लिए तीन गुच्छों में व्यवस्था की गई है, जिसमें केंद्रीय द्वार पर 40 मीटर से अधिक ऊँचाई और 2,500 लोगों की क्षमता वाले नौ दरवाजे हैं। कमल मंदिर में प्रतिदिन देश और विदेश के लगभग आठ से दस हजार पर्यटक आते हैं। आनेवाले सभी पर्यटकों को बहाई धर्म का परिचय दिया जाता है और मुफ्त बहाई धार्मिक सामग्री वितरित की जाती है। यहाँ का शांत वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए सहायक है। मंदिर में पर्यटकों को आर्किषत करने के लिए विस्तृत घास के मैदान, सफेद विशाल भवन, ऊंचे गुंबद वाला प्रार्थनागार और प्रतिमाओं के बिना मंदिर से आकर्षित होकर हजारों लोग यहां मात्र दर्शक की भांति नहीं बल्कि प्रार्थना एवं ध्यान करने तथा निर्धारित समय पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने भी आते हैं। यह विशेष प्रार्थना हर घंटे पर पांच मिनट के लिए आयोजित की जाती है। गर्मियों में सूचना केंद्र सुबह 7:30 बजे खुलता है, जो शाम को 6:30 पर बंद होता है। इस मंदिर के साथ विश्वभर में कुल सात बहाई मंदिर है। जल्द ही आठवाँ मंदिर भी बनने वाला है। भारतीय उपमहाद्वीप में भारत के कमल मंदिर के अलावा छह मंदिर एपिया-पश्चिमी समोआ, सिडनी-आस्ट्रेलिया, कंपाला-यूगांडा, पनामा सिटी-पनामा, फ्रैंकफर्ट-जर्मनी और विलमाँट- संयुक्त राज्य अमेरिका में भी हैं। इस दृष्टि से यह मंदिर ‘अनेकता में एकता’ के सिद्धांत को यथार्थ रूप मे दर्शाता हैं। इन सभी मंदिरों की सार्वलौकिक विलक्षणता है - इसके नौ द्वार और नौ कोने हैं। माना जाता है कि नौ सबसे बड़ा अंक है और यह विस्तार, एकता एवं अखंडता को दर्शाता है। उपासना मंदिर चारों ओर से नौ बड़े जलाशयों से घिरा है, जो न सिर्फ भवन की सुंदरता को बढ़ता है बल्कि मंदिर के प्रार्थनागार को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान करते है।

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